Thursday 15 April 2010

मैं आप सभी लोगो से अधिक से अधिक पौधे लगाने की अपील करता हूँ !



मैं आप सभी लोगो से अधिक से अधिक पौधे लगाने की अपील करता हूँ !

पर्यावरण सुरक्षा के लिए आप लोग कम से कम 100 पौधे जरूर लगायें ! अपने जन्म दिन के अवसर पर , अवकाश पर , किसी भी त्योहार पर , किसी भी यादगार अवसर पर, नव-वर्ष के आगमन पर, किसी सुनहरे समय पर, वर्षगांठ के अवसर पर, शादी - विवाह के अवसर पर, आप लोगों से विनती है कम से कम एक पौधा जरूर लगायें ! पौधे लगाना हमारा एक नैतिक कर्तव्य है हमे इस कर्तव्य को निभाना चाहिए इससे विमुख नही होना चाहिए! अगर हमें आरोग्य रहना है,तो अधिकाधिक वृक्ष लगाने होंगे। आज के आधुनिक युग में जब प्रदूषित जल,वायु और वातावरण का हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड रहा है,तो हमें सावधान होकर इस घातक वातावरण से बचने के लिए पेड लगाने होंगे,तभी हम पूर्ण स्वस्थ रह सकेंगे।
मानव का वृक्षों और पौधों के साथ सदियों से अटूट रिश्ता रहा है। वृक्ष, मानव जीवन का आधार है। केवल बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने में ही नहीं , बल्कि जलवायु एवं वातावरण के संतुलन में भी वृक्षों का योगदान सर्वोपरि है। वृक्षों से हमें फल , फूल , औषधि और लकड़ी आदि तो मिलता ही है, साथ ही घर और अपने आसपास पेड़-पौधे लगाने से मनुष्य का धर्म भी बढता है।

शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति एक पीपल , एक नीम , दस इमली , तीन कैथ , तीन बेल , तीन आंवला और पांच आम के वृक्ष लगाता है , वह पुण्यात्मा होता है और कभी नरक के दर्शन नहीं करता।

कुछ लोग वृक्षों का महत्त्व नहीं समझते । लकड़ी का लोभ और खेती के लिए अधिक जगह मिलने के लालच में पेड़ों को काटते चले जाते हैं, उन्हें यह ज्ञान नहीं है की इन तुच्छ लाभों की तुलना में वृक्ष विनाश से होने वाली हानि कितनी अधिक भयंकर है । यदि वृक्ष सम्पदा विनाश का वर्तमान क्रम चलता रहा तो उसके भयानक परिणाम भुगतने पड़ेंगे ।

ग्रंथ में कहते हैं-
`मूलत: ब्रह्म रूपाय मध्यतो विष्णु रुपिण:
अग्रत: शिव रुपाय अश्वत्त्थाय नमो नम:।´
अर्थात वृक्ष के मूल में ब्रह्म, मध्य में विष्णु तथा अग्रभाग में शिव का वास होता है।

भगवान शिव जैसे योगी भी वट वृक्ष के नीचे ही समाधि लगाकर तप साधना करते थे-
.तहँ पुनि संभु समुझिपन आसन
बैठे वटतर, करि कमलासन।´
(रामचरित मानस- बालकांड)
कई सगुण साधकों, ऋषियों, यहां तक कि देवताओं ने भी वट वृक्ष में भगवान विष्णु की उपस्थिति के दर्शन किए हैं-
स्कन्द पुराण में वर्णित है कि अश्वत्थ (पीपल) के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में श्रीहरि और फलों में सभी देवताओं के साथ अच्युत सदैव निवास करते हैं।पीपल भगवान विष्णु का जीवन्त और पूर्णत:मूर्तिमान स्वरूप है।

अश्वत्थ सुमहाभागसुभग प्रियदर्शन।
इष्टकामांश्चमेदेहिशत्रुभ्यस्तुपराभवम्॥

आयु: प्रजांधनंधान्यंसौभाग्यंसर्व संपदं।
देहिदेवि महावृक्षत्वामहंशरणंगत:॥

`सृष्टिकर्ता यदा ब्रह्मा न लभे सृष्टि साधनम
तदाक्षयवटं, चैनं पूज्या मासकामदम।´

-अर्थात सृष्टि रचना के प्रारंभिक दौर में जब ब्रह्माजी को यथेष्ट परिमाण में उचित सामग्री उपलब्ध नहीं हुई तो उन्होंने विष्णु उपस्थिति से मंडित वट वृक्ष का पूजन-आराधन किया और आदि परमेश्वर से उचित सहायता प्राप्त कर अपना मनोरथ पूरा किया। `मनोरथ पूर्ण हो´ जैसे सिद्ध आशीर्वाद देने की क्षमता का प्रतिफल ही था यह, जिसने साध्वी नारियों में इस वृक्ष के प्रति आकर्षण और विश्वास को जागृत किया। इस प्रकार वट वृक्ष पूजने का यह विष्णु प्रयोजन एक प्रथा के रूप में चल पड़ा। कुलवधुएं ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन `वट-सावित्री´ का व्रत रखती हैं, तन्मय एकाग्रता के साथ वट के चारों ओर धागा लपेटकर अपने पतिव्रत संकल्प को मजबूत करती हैं। सावित्री-सत्यवान की प्रेरक कथा सुनती हैं तथा वैसा ही सद्गृहस्थ जीवन उन्हें भी उपलब्ध हो, यह मंगलकामना करती हैं।

जब हमारे पूर्वजो ने, ऋषि मुनियों ने,और पुराणों ने वृक्षो की महिमा का गुणगान किया है इसकी महिमा को समझा है तो हमारा भी यही फ़र्ज़ बनता है की हम लोग भी उन्ही के बताये हुए मार्ग पर चले और प्रकृति के संतुलन को बनाये रखने और वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए हम सभी लोग अधिक से अधिक पौधे लगायें!
आप कोई भी पौधा लगा सकते हैं जैसे की आवला, नीम, बरगद, बबूल, गुलर, सफेदा, आम, पीपल, इमली,बेल,कटहल,जामुन, या कोई भी पौधा, हर पौधे की अपनी महानता है कोई फल वाला है, कोई इमारती, तो कोई औषधि-युक्त है वृक्षों की महानता का वर्णन नहीं किया जा सकता है!
हमें हर हाल में अधिक से अधिक पौधे लगाने होंगे और अन्य लोगो को भी अधिक से अधिक पौधे लगाने के लिए प्रेरित करना होगा यही हमारा कर्त्तव्य है !
मैं आशा करता हूँ कि हम सब लोग मिलकर इस धरती को स्वर्ग बनाएँगे ,पर्यावरण सुरक्षा के इस महत्वपूर्ण दायित्व को निभाएंगे और हम लोग अधिक से अधिक पौधे लगाएगे!

इसी आशा और विश्वाश के साथ आपका ..................

उमेश मिश्रा